अक्षय तृतीया: एक दिन जो रुक कर जीना सिखाता है।
✨ प्रस्तावना – जब माँ ने मुझे रोक लिया...
"इतना भाग क्यों रही हो बेटा? ज़रा ठहरो, आज अक्षय तृतीया है..."
माँ की यह बात सुनकर मैं मुस्कुरा दी।
"माँ, अभी बहुत काम है, त्योहार मनाने का समय नहीं है!"
माँ चुप रहीं, लेकिन उनकी आँखों में एक सवाल था—
"क्या हम सच में इतने व्यस्त हो गए हैं कि अक्षय भी हमें याद न रहे?"
मैं रुक गई।
उस दिन मैंने पहली बार अक्षय तृतीया को ध्यान और आत्मिक दृष्टिकोण से देखा।
और मेरी यह ठहराव की यात्रा वहीं से शुरू हुई...
🌺 अक्षय तृतीया: सिर्फ एक तिथि नहीं, एक अनुभूति है
अक्षय तृतीया को आमतौर पर लोग सोना खरीदने, नए व्यापार शुरू करने, या मंगल कार्य जैसे शादी-विवाह से जोड़ते हैं। लेकिन यह दिन केवल आर्थिक शुभता का नहीं, आध्यात्मिक समृद्धि का भी प्रतीक है।
‘अक्षय’ का अर्थ होता है — जिसका कभी क्षय न हो।
यह तिथि हमें यह सिखाती है कि अगर हमारी भावना शुद्ध हो, कर्म निष्कलंक हो, और मन शांत हो, तो जीवन में हर दिन अक्षय बन सकता है।
🔱 एक समय की बात है... (एक पौराणिक कथा)
जब सुदामा जी अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका गए थे, उनके पास देने को कुछ नहीं था—सिवाय थोड़े से चिउड़े के।
लेकिन भाव इतना शुद्ध था कि कृष्ण ने उसे ईश्वर का प्रसाद मानकर स्वीकार किया, और बदले में सुदामा को अक्षय समृद्धि प्राप्त हुई।
इस कथा ने मुझे सिखाया—
"ईश्वर कर्म नहीं, भावना तौलता है।"
इसलिए इस दिन किया गया हर छोटा सा शुभ कार्य—भले ही वो एक माफ़ी, एक दुआ, या एक मुस्कान ही क्यों न हो—अक्षय फल देता है।
🌿 आज की भागती दुनिया में अक्षय तृतीया की आवश्यकता क्यों है?
हम डिजिटल युग में जी रहे हैं—जहाँ सब कुछ insta-fast है।
लेकिन इस तेज़ रफ्तार में हम खो चुके हैं:
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धैर्य
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ध्यान
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और सबसे ज़रूरी—अपनी आत्मा से संवाद।
अक्षय तृतीया हमें यही सिखाती है—
"रुको, देखो, सुनो... खुद को।"
🔔 इस अक्षय तृतीया पर क्या करें?
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ध्यान या मेडिटेशन से दिन की शुरुआत करें
ये आपकी मानसिक ऊर्जा को अक्षय बनाएगा।
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दान करें, लेकिन प्रेम से
अनाथाश्रम, पशु आश्रय या किसी ज़रूरतमंद को समय या भोजन दें।
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एक संकल्प लें जो आत्मा से जुड़ा हो
जैसे "हर दिन 10 मिनट खुद के साथ बिताऊँगी।"
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परिवार के साथ बैठकर एक साथ भोजन करें
ये रिश्तों की अक्षयता को मजबूत करेगा।
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"सोने" से पहले "सोच" को पवित्र बनाएं
आज के दिन सिर्फ ज़ेवर नहीं, ज़ेहन भी चमकाइए।
🌸 अंतिम विचार – अक्षयता केवल धन में नहीं, भाव में है
माँ ठीक कहती थीं।
त्योहार वो नहीं होते जो केवल मनाए जाएं—वो होते हैं जो हमें मन का आयाम दें।
अक्षय तृतीया भी एक ऐसा ही दिन है।
इस बार जब आप दीया जलाएं,
तो एक वादा कीजिए—
"मैं रुकूँगी। मैं सुनूँगी। मैं जियूँगी—अक्षय होकर।"
🌼 शुभ अक्षय तृतीया!
प्रेम सहित,
~ आरोही | आत्मा की एक यात्रा

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