मैं कौन हूँ? | आत्म-खोज की एक भावनात्मक यात्रा | Aarohi Stories

क्या आपने कभी खुद से सवाल किया है — "मैं कौन हूँ?"
यह सवाल छोटा सा है, पर जवाब बहुत गहरा।
हम ज़िन्दगी भर कई रिश्तों में, कई ज़िम्मेदारियों में, खुद को कहीं पीछे छोड़ देते हैं।
Aarohi आपको आज एक ऐसी यात्रा पर ले चलती है — जहाँ भावनाओं की लहरें हैं, कविता की कोमलता है, और खुद से मिलने की एक अनकही कोशिश है।

चलिए… शुरू करें ये आत्म-संवाद की यात्रा।

 

Main Kaun Hoon Hindi blog post graphic about self-discovery, emotional journey, and inner reflection by Aarohi Stories.


🕯️ कहानी शुरू होती है...

एक शाम थी… हल्की सी उदास।
खिड़की के पास बैठी मैं,
चाय का कप थामे हुए,
अपने ही ख्यालों में कहीं खो गई थी।

किसी ने नहीं पूछा... पर आज मैंने खुद से पूछ लिया —
"मैं कौन हूँ?"


🌿 कुछ पंक्तियाँ मन ने खुद से कहीं...

"चेहरे तो कई हैं, हर मोड़ पे पहन लिए,
कभी मुस्कान, कभी खामोशी बनकर जी लिए।
पर जो अंदर है, वो अब भी अनकहा है,
मैं कौन हूँ – ये सवाल अब भी जिंदा है।"


खुद से एक बातचीत...

मैंने आईने में देखा —
वो लड़की जो देख रही थी मुझे,
थोड़ी थकी, पर टूटी नहीं।
थोड़ी उलझी, पर रुकी नहीं।

"कभी किसी की बेटी, किसी की माँ,
कभी दोस्त, कभी बहन,
हर रिश्ते में खुद को पूरा कर दिया...
पर क्या कभी खुद से रिश्ता जोड़ा?"


🌌 फिर मन ने जवाब दिया...

"तू कोई एक नाम नहीं,
ना ही किसी एक पहचान में सिमटी है।
तू कविता भी है, तू कहानी भी है,
तू अधूरी सी दुआ भी है, और पूरी सी रवानी भी है।"


🧘‍♀️ और तब जाना...

हम खुद को ढूंढते हैं दुनिया के आईनों में,
जबकि जवाब हमारे भीतर ही रहता है।
हर आंसू, हर मुस्कान, हर अधूरी ख्वाहिश
हमारी असली पहचान का हिस्सा है।


💫 अंत में...

मैं कौन हूँ?
शायद एक सवाल नहीं, एक यात्रा है।
हर दिन, हर अनुभव...
मुझे थोड़ा और मैं बना देता है।


🖋️ ~ Aarohi

(कभी भावनाओं में बहती, कभी शब्दों में सिमटी एक आवाज़)

 


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