एक लड़की की आत्मकथा: मेरे संघर्ष और सपनों की यात्रा
1. बचपन – दुनिया से पहली मुलाकात बचपन का समय एक सपना सा था। घर का आंगन, माँ के हाथों की बनी स्वादिष्ट मिठाइयाँ, पापा की कहानियाँ, और दादी की घुटनों के नीचे छिपी कहानियाँ, ये सब मेरे लिए अनमोल थे। हर दिन मेरे लिए एक नई दुनिया होती थी। मैं एक छोटी सी लड़की थी, जो अपने सपनों और अपने छोटे से संसार में खुश थी। लेकिन उस छोटे से दुनिया में एक दिन मुझे कदम रखना था। स्कूल जाने का समय आया, और मेरी आँखों में डर और उत्सुकता दोनों थे। क्या वहाँ भी मुझे वही प्यार मिलेगा? क्या मैं किसी के दिल में अपनी जगह बना पाऊँगी? माँ-पापा का साया छोड़कर स्कूल के दरवाजे तक पहुंचना एक भावनात्मक पल था। मुझे लगा जैसे घर का प्यार अब मुझसे दूर हो जाएगा। लेकिन स्कूल के पहले दिन ने मुझे सिखाया कि मैं अकेली नहीं थी। वहाँ नए दोस्त थे, और धीरे-धीरे मैंने समझा कि यह नया रास्ता मेरे लिए चुनौती तो था, लेकिन मेरे अंदर एक नई शक्ति भी थी। मैंने धीरे-धीरे हर दिन एक नई पहचान बनाई। 2. आत्मविश्वास की तलाश – कॉलेज का पहला कदम कॉलेज में प्रवेश करते समय, मेरे मन में डर और उत्साह दोनों थे। मैंने कभी सोचा नहीं था कि इतने बड़े संस्था...